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कुंभ पर कुपित अखिलेश यादव ने लोकसभा में इस्तीफे की पेशकश कर सबको चौंकाया

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कन्नौज से सपा सांसद अखिलेश यादव ने आज लोकसभा में सबको चौंका दिया. दोपहर 12 बजे के बाद वह राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा में शामिल हुए और बोलते-बोलते यह भी कह दिया कि अगर मेरी बात गलत है तो मैं अब अपना रिजाइन देना चाहता हूं. यह कहते हुए उन्होंने स्पीकर ओम बिरला की तरफ अपने हाथ में मौजूद कागजात को आगे कर दिया. संसद में सभी दंग रह गए. आखिर अखिलेश किस बात पर इतना नाराज हो गए थे?

दरअसल, अखिलेश ने आज महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा जोरशोर से उठाया. वह प्रयागराज में हुई व्यवस्था पर सरकार को कोस रहे थे और तंज कस रहे थे कि डबल इंजन सरकार के नाम से तमाम दावे और प्रचार किए गए थे लेकिन अब यही सरकार मृतकों के सही आंकड़े नहीं दे रही है.

अखिलेश ने कहा कि दस्तावेज ये बताते हैं कि समय-समय पर जिसका भी राज रहा या सरकारें रही हैं उसने कुंभ का आयोजन किया है. एक तरफ तो यह कहकर कि 144 साल बाद महाकुंभ होने जा रहा है, उसका इतना प्रचार किया गया और मैंने तो कई टीवी इंटरव्यू, कई समाचार चैनलों पर यह बात सुनी कि सरकार ने 100 करोड़ लोगों के आने का इंतजाम किया है. और अगर 100 करोड़… अध्यक्ष महोदय, अगर ये बात गलत है तो मैं रिजाइन देना चाहता हूं.

सपा अध्यक्ष ने कहा कि माननीय सदस्य अगर नहीं सुन पा रहे हैं तो… इस दौरान सत्ता पक्ष के कई सदस्य शोर करने लगे थे. अखिलेश ने कहा कि यह कहा गया कि 144 साल बाद ये हो रहा है, जबकि जहां तक मेरी समझ है, जो इन चीजों को समझते होंगे वे जानते हैं कि जो भी महाकुंभ होता होगा वो 144 साल बाद आता होगा. नक्षत्र ऐसे हैं. मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि सतयुग से लेकर कलियुग तक सनातन परंपरा रही है कि संत, महात्मा, साधु समाज मुहूर्त के हिसाब से शाही स्नान करते हैं उसमें नक्षत्रों के हिसाब से जो संयोग बनता है वही शाही स्नान का मुहूर्त होता है लेकिन भाजपा सरकार के समय सनातन परंपरा टूट गई.

अखिलेश ने कहा कि पहले सरकार ने संत समाज को शाही स्नान रद्द करने का आदेश दिया फिर जब देशभर में यह बात उठाई गई तो उन्होंने आदेश दिया कि अखाड़े स्नान करने के लिए आएं. अखिलेश ने मुहूर्त काल पर जोर दिया. बोले, हमने वहां देखा कि लोग पुण्य कमाने आए थे लेकिन वे अपनों के शव लेकर गए हैं. विपक्षी सदस्यों ने शेम-शेम के नारे लगाए.

उन्होंने आगे कहा कि जब ये जानकारी हो गई कि कुछ लोगों की जानें चली गईं. लाशें मुर्दाघर में पड़ी थीं तो सोचिए सरकार क्या कर रही थी. अपने सरकारी हेलिकॉप्टरों में फूल भरकर फूल डाले जा रहे थे. ये कहां की सनातन परंपरा हैं? जहां लाशें, न जानें कितने कपड़े, साड़ियां, चप्पलें थीं, उसे जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर ट्रॉली से उठवाया गया. उसे कहां फेंका, किसी को नहीं पता. जब उन्हें लगा कि बदबू आ रही है तो यही सरकार छिपाने लगी. यही इनका महाकुंभ का आयोजन है.

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