विधानसभा चुनाव से पहले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर फरलो मिल गई है. वो जेल से बाहर आ गए हैं. राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है, जिसके बाद वह मंगलवार को सुनारिया जेल से बाहर. फरलो पर बाहर आने के लिए उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.
बागपत के डेरा सच्चा सौदा आश्रम में बाबा राम रहीम
21 दिन की फरलो मिलने के बाद गुरमीत राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल से भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बागपत के डेरा सच्चा सौदा आश्रम बरनावा पहुंचा. हरियाणा की सुनारिया जेल से राम रहीम को मंगलवार सुबह लगभग 6.30 बजे पुलिस सुरक्षा में रिहा किया गया. वह फरलो की अवधि उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में बरना बरनावा आश्रम में बिताएगा. डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह का 15 अगस्त को जन्मदिन है. वह अपने अनुयायियों के साथ जन्मदिन मना सकता है.
वर्ष 2017 में दुष्कर्म मामले में सजा
गुरमीत राम रहीम को साध्वी दुष्कर्म मामले में साल 2017 में सजा सुनाई गई थी. इसके बाद में उसे छत्रपति हत्याकांड और रणजीत हत्याकांड में भी सजा हो चुकी है. तभी से वह सुनारिया जेल में बंद है. पिछली बार 19 जनवरी को सरकार ने रामरहीम को 50 दिन की पैरोल दी थी, जो यूपी के बरनावा आश्रम में बिताई. इसके अलावा गुरमीत को पूर्व डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
बरनावा आश्रम पर सुरक्षा
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फरलो देने के आदेश दिए थे. पुलिस ने आश्रम की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है.
कब-कब जेल से बाहर आया गुरमीत राम रहीम
20 अक्तूबर 2020-एक दिन की पैरोल मिली
12 मई 2021-मेडिकल जांच के लिए बाहर
17 मई 2021-मां से मिलने के लिए एक दिन की पैरोल
3 जून 2021-पेट में दर्द की शिकायत पर पीजीआई
8 जून 2021-हेल्थ जांच के लिए गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल
13 जुलाई 2021- जांच के लिए एम्स
फरवरी 2022- 21 दिन की पैरोल
जून 2022- 30 दिन की पैरोल
अक्तूबर 2022-40 दिन की पैरोल
21 जनवरी 2023-40 दिन की पैरोल
20 जुलाई 2023- 30 दिन की पैरोल
20 नवंबर 2023- 21 दिन की पैरोल
19 जनवरी 2024-50 दिन की पैरोल
13 अगस्त 2024- 21 दिन की फरलो
क्या होती है फरलो?
फरलो सिर्फ सजा पा चुके कैदी को ही मिलती है. फरलो एक तरह से छुट्टी की तरह होती है, जिसमें कैदी को कुछ दिन के लिए रिहा किया जाता है.यह आमतौर पर उस कैदी को मिलती है जिसे लंबे समय के लिए सजा मिली हो. इसका मकसद होता है कि कैदी अपने परिवार और समाज के लोगों से मिल सके. इसे बिना कारण के भी दिया जा सकता है. चूंकि जेल राज्य का विषय है, इसलिए हर राज्य में फरलो को लेकर अलग-अलग नियम है. फरलो की अवधि को कैदी की सजा में छूट और उसके अधिकार के तौर पर देखा जाता है. बात करें यूपी की तो यहां पर फरलो देने का प्रावधान नहीं है.