तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू में मिलावट का मामला तूल पकड़ चुका है. एक कथित जांच में पता चला है कि लड्डू में जानवर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है, जिससे विवाद और बढ़ गया है. इस स्थिति के मद्देनजर तिरुपति मंदिर प्रशासन- तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है. टीटीडी अब अपने इन-हाउस हाई-टेक टेस्टिंग मशीनरी का उपयोग करेगा, जो लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले घी की गुणवत्ता और शुद्धता की जांच करेगी. यह मशीनरी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा दान की जाएगी और इसके दिसंबर-जनवरी तक स्थापित होने की उम्मीद है.
न्यूज 18 की रिपोर्ट की मानें तो टीटीडी के पास पहले से ही एक लैब टेस्टिंग यूनिट है लेकिन नई मशीनरी कई मानकों को कवर करेगी ताकि लड्डू की शुद्धता सुनिश्चित हो सके. टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव ने बताया कि उच्चस्तरीय टेस्टिंग के लिए मशीनरी का आयात किया जाएगा और यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. घी और अन्य कच्चे माल के नमूनों की टेस्टिंग की जाएगी। यदि इन-हाउस टेस्ट में असफलता मिली, तो नमूने बाहरी प्रयोगशालाओं में भेजे जाएंगे.
हाल ही में चार नमूनों में जानवर की चर्बी की उपस्थिति पाई गई थी. राव ने कहा कि सभी चार रिपोर्टों में समान परिणाम मिले और तुरंत आपूर्ति रोक दी गई. साथ ही ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है. टीटीडी की कार्यकारी अधिकारी ने स्पष्ट किया कि घी की आपूर्ति करने वालों के लिए एक सख्त प्रक्रिया अपनाई जाती है और इस विवाद के बाद वे विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर नया टेंडर जारी करेंगे.
इस मामले में केंद्र सरकार ने भी संज्ञान लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जबकि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंडी संजय ने सीबीआई जांच की मांग की है. एक हालिया लैब टेस्ट रिपोर्ट ने बताया कि जो घी के नमूने गाय के घी के रूप में लेबल किए गए थे, वे FSSAI के मानकों के अनुसार नहीं थे, जिससे पता चलता है कि नमूने में मिलावट की गई थी. इस विवाद के बीच, तिरुपति लड्डू की गुणवत्ता को लेकर कई शिकायतें भी आई हैं. आंध्र प्रदेश की टीडीपी सरकार ने शिकायतों की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है.