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भगवान श्रीकृष्‍ण का प्रिय महीना मार्गशीर्ष आज से शुरू, जानें क्‍या करें क्‍या ना करें !

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हिंदू पंचांग का 9 वां महीना मार्गशीर्ष या अगहन मास आज 6 नवंबर से शुरू हो गया है और 4 दिसंबर 2025 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ समाप्‍त होगा. मृगशिरा नक्षत्र से युक्‍त पूर्णिमा होने के कारण इसे मार्गशीर्ष महीना कहा जाता है. भगवान श्रीकृष्‍ण को यह महीना बेहद प्रिय है. भगवान कृष्‍ण ने स्‍वयं कहा है कि मासों में मैं स्‍वयं मार्गशीर्ष हूं. यह महीना मनुष्‍य को ईश्वर तक पहुंचाने वाले श्रेष्ठ मार्ग की प्रेरणा देता है.

मार्गशीर्ष माह में करें श्रीकृष्‍ण की उपासना: मार्गशीर्ष महीना भगवान श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की उपासना के लिए अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है. इस महीने में श्रीहरि और श्रीकृष्‍ण की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. साथ ही कुछ नियमों का पालन किया जाता है. ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्‍य बढ़ता है और मृत्‍यु के बाद मोक्ष प्राप्‍त होता है. 

मार्गशीर्ष मास के नियम:  मार्गशीर्ष मास में कुछ काम करने चाहिए और कुछ काम करने की मनाही की गई है. जानिए मार्गशीर्ष महीने के नियम. 

➤ मार्गशीर्ष या अगहन महीने में रोज सुबह पवित्र नदी में स्‍नान करना अत्‍यंत शुभ माना जाता है. विशेष तौर पर यमुना नदी में स्‍नान करना चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि जो भक्त इस माह में यमुना स्नान करता है, उसे उनका सहज ही आशीर्वाद प्राप्त होता है. यदि ऐसा संभव ना हो तो घर पर ही सुबह जल्‍दी पवित्र नदी के जल की कुछ बूंदे नहाने के पानी में मिलाकर स्‍नान कर लें. 

➤मार्गशीर्ष मास में विष्णु सहस्रनाम, श्रीमद्भगवद्गीता या गजेन्द्रमोक्ष स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. 

➤जितना हो सके इस महीने में दान-पुण्‍य करें. अपनी सामर्थ्‍य अनुसार गरीब या जरूरतमंद लोगों की मदद करें. 

➤मार्गशीर्ष महीने में दीपदान करने का भी बड़ा महत्‍व है. मंदिर में दीप जलाने के साथ तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं. 

➤भगवान विष्‍णु और श्रीकृष्‍ण जी की पूजा में तुलसीदल जरूर अर्पित करें. 

➤मार्गशीर्ष मास में गलत कार्यों, नशे, तामसिक चीजों जैसे- मांस-मदिरा के सेवन से दूरी बनाए. 

➤ना तो किसी का अपमान करें, ना किसी से झूठ बोलें और ना ही बुरे विचार मन में लाएं. वरना इसका बुरा असर आप पर ही होगा. सकारात्‍मक सोच रखें और भगवान का स्‍मरण करें. 

➤मार्गशीर्ष मास में जीरे का सेवन करना भी निषिद्ध माना गया है. 

➤मार्गशीर्ष मास में पितरों की आलोचना या अपमान ना करें. बल्कि अमावस्‍या के दिन उनके लिए श्राद्ध, तर्पण आदि करें. 

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