UP में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अप्रैल से जुलाई, 2026 के बीच कराए जाएंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव तय समय पर कराने की पूरी तैयारी कर ली है. राज्य सरकार की ओर से जैसे ही एससी-एसटी के आरक्षण का निर्धारण कर वार्ड, ब्लॉक और जिला पंचायतें आरक्षित कर दी जाएंगी और आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू कर देगा. उड़ान चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव में खर्च सीमा बढ़ा दी है. उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क और जमानत राशि भी बढ़ायी गयी है.
राज्य निर्वाचन आयुक्त राजप्रताप सिंह ने 4 नवंबर को यूपी के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (जिलाधिकारियों) के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की. इसमें उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव तय समय पर कराए जाएंगे. इसलिए सभी डीएम भी अपने-अपने जिले में इसकी तैयारियां पूरी कर लें. उन्होंने मतदाता सूची में डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम हटवाने और पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ने पर जोर दिया. जिन जिलों में मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम धीमा है, उन्हें खास हिदायत दी.

पंचायत चुनाव 2026 से पहले फर्जी वोटरों के नाम हटाए जाने हैं. इससे पहले 2021 में 15 से 29 अप्रैल के बीच 4 चरणों में ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव कराए गए थे लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर उफान पर होने की वजह से कई मतदानकर्मियों की मौत हो गई थी. इसके चलते ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव टाल दिए गए थे. इन दोनों पदों के चुनाव 2-3 जुलाई, 2021 को कराए गए थे. बैलेट पेपर बनवाने का काम शुरू निर्वाचन आयोग ने बैलेट पेपर के लिए पेपर बनवाने का काम शुरू कर दिया है. इस बार 75 करोड़ से ज्यादा पेपर छपने हैं. निर्वाचन आयोग के अधिकारी बताते हैं कि बैलेट के लिए विशेष तरह का पेपर बनवाया जाता है. यह दो से तीन कलर में होता है. इसी पेपर पर बैलेट छपवाए जाएंगे.

चुनाव में प्रधान प्रत्याशी सवा लाख, ब्लॉक प्रमुख साढ़े तीन लाख खर्च कर सकेंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने 2021 के मुकाबले अगले पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा में दोगुना तक बढ़ा दी है। हालांकि, वास्तविक चुनाव खर्च इससे कई सौ गुना तक ज्यादा होता है. साल- 2021 में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 4 लाख रुपए थी. अब उसे बढ़ाकर 7 लाख रुपए किया गया है.
वैसे यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए उम्मीदवार 10-10 करोड़ रुपए तक खर्च करते हैं. सदस्यों को अपने पक्ष में करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं. इसमें धनबल का उपयोग भी सबसे अधिक होता है। जानकार बताते हैं, जिला पंचायत सदस्य को एक वोट के बदले 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक भी मिल जाते हैं. बड़े जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का चुनाव खर्च 10 से 15 करोड़ रुपए तक आता है. वहीं, क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी तीन से पांच करोड़ रुपए तक खर्च होते हैं. ग्राम प्रधान के चुनाव के लिए खर्च की सीमा 75 हजार से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए की गई है.

















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