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काल भैरव जयंती आज: करें इन शक्तिशाली मंत्रों से साधना, जानें पूजा का सही समय!

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Kaal Bhairav Jayanti 2025: हर साल कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि पर काल भैरव जयंती मनाने का विधान है. भगवान शिव के उग्र और रौद्र रूप काल भैरव जयंती तिथि को भैरव अष्टमी, काल भैरव अष्टमी या भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है. शास्त्रों की मानें तो काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी नकारात्मकता दूर होती है और ग्रह दोष से लेकर रोग, अकाल मृत्यु के भय का नाश होता है. आइए जानें काल भैरव जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन किन मंत्रों का जाप करना चाहिए.

वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की 11 नवंबर 2025 को रात में 11:08 बजे शुरू हो रही है और 12 नवंबर 2025 को रात 10:58 मिनट पर तिथि का समापन हो रहा है. उदयातिथि में काल भैरव जयंती आज बुधवार को यानी 12 नवंबर 2025 को है.

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त? काल भैरव जयंती पर वैसे तो दिन में भी पूजा की जा सकती है लेकिन इसके लिए सुबह 06:41 मिनट से लेकर सुबह 09:23 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है. दूसरा शुभ-उत्तम मुहूर्त 10:44 मिनट से लेकर 12:05 मिनट तक है.

काल भैरव मूल मंत्र का करें जाप ॐ कालभैरवाय नमः

महाकाल भैरव बीज मंत्र का करें जाप ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः

काल भैरव बीज मंत्र का करें जाप ॐ भ्रं कालभैरवाय सर्व बाधा निवारणाय हुं फट्

काल भैरव गायत्री मंत्र का करें जाप ॐ कालकालाय विद्महे, कालातीताय धीमहि, तन्नो काल भैरवः प्रचोदयात्

बटुक भैरव मंत्र ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं

भगवान काल भैरव की कैसे करें पूजा? आज काल भैरव जयंती पर भगवान भैरव की पूजा का पुण्यफल पाने के लिए साधक को प्रात:काल स्नान करने के बाद किसी भैरव मंदिर में जाकर या फिर अपने घर में उनके चित्र पर गंगाजल छिड़कने के बाद फल-फूल, धूप-दीप, वस्त्र-भोग आदि अर्पित् करना चाहिए. आज भगवान भैरव को उनकी प्रिय चीज यानि इमरती या जलेबी जरूर चढ़ाएं. इसके बाद भगवान भैरव की चालीसा और भैरव अष्टकं पाठ करना चाहिए. पूजा के अंत में भगवान भैरव की श्रद्धापूर्वक आरती करना चाहिए.

भगवान काल भैरव की पूजा के लाभ: हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान काल की पूजा करने पर जीवन से जुड़े सारे भय दूर हो जाते हैं और साधक को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. काल भैरव की साधना व्यक्ति को कलयुग के कष्टों से बचाने वाली मानी गई है. मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति पूरे विधि-विधान से काल भैरव जी की पूजा करता है, उसे राहु और शनि जैसे क्रूर ग्रह का कोई दोष नहीं लगता है और वह सुखी और निर्भय जीवन जीता है.

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