तीन साल पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच में चार विधायकों को राजद में लाने वाले तेजस्वी यादव को बिहार चुनाव में सीमांचल ही नहीं, पूरे राज्य में तगड़ा झटका लगा है. ओवैसी ने इस बार चुनाव प्रचार में कहा था कि 4 एमएलए तोड़ने का बदला सीमांचल की 24 सीट पर लेंगे. ओवैसी ने पशुपति पारस, स्वामी प्रसाद और चंद्रशेखर आजाद के साथ गठबंधन में 25 कैंडिडेट उतारे थे। उनके 5 कैंडिडेट किशनगंज, अररिया और पूर्णिया में जीते हैं और वो पांच सीटें वही हैं, जो पार्टी 2020 में जीती थी. जो चार विधायक राजद में गए थे, उनमें तीन को टिकट नहीं मिला और एक को मिला तो वो तीसरे नंबर पर चला गया.
चार का बदला 24 सीट पर लेने की ओवैसी की राजनीतिक अपील का जमीन पर भी असर दिखा है. ओवैसी सीमांचल की 24 सीट की बात कर रहे थे. सीमांचल के चार जिलों की दूसरी सीटों पर भी ओवैसी की पार्टी के कैंडिडेट ने मजबूत प्रदर्शन किया है. कहीं दूसरे नंबर पर रहे, कहीं तीसरे पर लेकिन इन सीटों पर भी गिनती के दौरान कभी ना कभी वो लीड ले रहे थे. महागठबंधन ने जब तेजस्वी को सीएम और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का उम्मीदवार घोषित किया था, तब ओवैसी की पार्टी के नेताओं ने ‘कब तक दरी बिछाते रहेंगे’ जैसा इमोशनल कार्ड खेला था. एनडीए दलों ने भी मुस्लिम डिप्टी सीएम नहीं घोषित होने पर सवाल उठाकर अल्पसंख्यकों को भड़काया था.
बिहार के लोगों ने गर्दा उड़ा दिया, कट्टा सरकार कभी वापस नहीं लौटेगी: पीएम मोदी बिहार के आज आए नतीजों में यादव और मुसलमान के वोट में बिखराव का स्पष्ट संकेत मिल रहा है. तेजस्वी यादव की अगुवाई में महागठबंधन 35 सीट पर संघर्ष कर रहा है. राजद खुद 25 सीट पर सिमटती दिख रही है. कांग्रेस जिन 6 सीटों को जीतती दिख रही है, उसमें 4 सीटें सीमांचल की और 2 चंपारण की हैं. तेजस्वी यादव खुद राघोपुर में बड़ी मुश्किल से जीते हैं.
ओवैसी और उनके दल ने 25 सीटें लड़कर लगभग 2 फीसदी लाकर बिहार में अपने पांव मजबूत होने का ऐलान कर दिया है. सीमांचल से बहुत दूर वैशाली के महुआ सीट पर भी ओवैसी के कैंडिडेट बच्चा राय ने 15 हजार से ऊपर वोट हासिल किया और चौथे नंबर पर रहे.
















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