बिहार का चुनाव इस बार लालू परिवार को बड़ा घाव देकर गया है. पहले तो चुनाव में सीटों की संख्या घटी और सियासी साख दांव पर लग गई. अब परिवार भी बिखरता नजर आ रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 24 घंटे भी नहीं बीते हैं कि लालू यादव की बेटी रोहिणी ने राजनीति और परिवार दोनों छोड़ने का ऐलान कर दिया.
बता दें कि रोहिणी ने ही अपने पिता को किडनी दी थी. एक्स पर लिखी पोस्ट में रोहिणी आचार्य ने यह ऐलान किया. बता दें कि बिहार चुनाव से कुछ वक्त पहले ही लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार दोनों से बेदखल कर दिया था.
पोस्ट में क्या लगाए आरोप: रोहिणी ने अपनी इस पोस्ट में संजय यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रोहिणी ने लिखा है कि संजय यादव और रमीज ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा है. उन्होंने लिखा कि मैं सारे आरोप अपने ऊपर लेती हूं. हैरानी की बात यह है कि रोहिणी ने पहले केवल राजनीति छोड़ने की बात लिखी थी लेकिन बाद में उन्होंने इसे एडिट करके संजय यादव और रमीज पर आरोप लगाए हैं. बता दें कि रोहिणी का संजय यादव से काफी पहले से मनमुटाव चल रहा था. यह मनमुटाव बिहार अधिकार यात्रा में साफ दिखा, जब संजय यादव बस में अगली सीट पर बैठे दिखाई दिए. जब इस पर आपत्ति जताते हुए एक एक्स यूजर ने पोस्ट लिखी तो रोहिणी ने उसे शेयर भी कर दिया था.
पहले से दे रही थीं संकेत? वैसे यह पहली बार नहीं है जब रोहिणी ने परिवार को लेकर इस तरह की बात लिखी है। इससे पहले सितंबर में भी उन्होंने एक्स पर कुछ ऐसा ही लिखा था. तब रोहिणी ने लिखा था, ‘मैंने एक बेटी व बहन के तौर पर अपना कर्तव्य एवं धर्म निभाया है और आगे भी निभाती रहूंगी. मुझे किसी पद की लालसा नहीं है, न मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है. मेरे लिए मेरा आत्म-सम्मान सर्वोपरि है.’
उस वक्त माना गया था कि रोहिणी परिवार से दूरी बना रही हैं. लेकिन विधानसभा चुनाव में रोहिणी ने खुलकर तेजस्वी का साथ दिया. हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद उन्होंने राजनीति और परिवार दोनों से दूरी बनाने की बात कह दी है.
क्या लोकसभा चुनाव की हार ने बिगाड़ी बात: रोहिणी आचार्य ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पॉलिटिकल डेब्यू किया. उन्होंने आरजेडी की सबसे मजबूत और परंपरागत सीट सारण से चुनाव लड़ा. लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. राजीव प्रताप रूडी ने रोहिणी आचार्य को यहां मात दी थी. माना जा रहा है कि इतनी प्रतिष्ठित सीट से हारने के बाद रोहिणी का परिवार में प्रभाव कम होने लगा.
















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