दिल्ली कार बलास्ट के बाद कानपुर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज चर्चा में है. साल 2006 से 2013 तक फार्माकोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष रह चुकी डॉ. शाहीन की इस धमाके में और दूसरी आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता पाई गई है. डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी के बाद जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के 7 और डॉक्टर सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर हैं.
इधर डाॅ. शाहीन और डाॅ. आरिफ के आपस में नेटवर्क का पता चलने के बाद सुरक्षा एजेंसी ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्टॉफ का ब्योरा जुटाया है. शनिवार को लगभग 2400 लोगों को ब्योरा ले गई. इसमें अस्पताल में कार्यरत नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ और कर्मचारी शामिल हैं. इसके पहले टीम डाॅक्टर का ब्योरा ले गई थी.
शनिवार को दिनभर सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी घूमते रहे. मेडिकल कॉलेज से करीब 13 सौ से ज्यादा कर्मचारी, 550 पैरामेडिकल स्टाफ और 520 नर्सों के नाम, पिता का नाम, राज्य, मोबाइल नंबर और कब से यहां काम कर रहे आदि जानकारी जुटाई है.
8 साल बाद कॉलेज प्रशासन ने की थी बर्खास्तगी: जांच में पता चला कि कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से डॉ. शाहीन दिसंबर 2013 के बाद से लापता हो गई थी. इसके बाद दोबारा कॉलेज नहीं लौटी. 8 साल बाद 2021 में डॉ. शाहीन को बर्खास्त कर दिया गया. यह जानकारी किसी को न होती, अगर दिल्ली धमाके में उसका नाम न आता. अब पता चला है कि कानपुर के मेडिकल कॉलेज के सात और डॉक्टर उसी तरह लापता हैं.
ये डॉक्टर भी लापता हुए: सूत्रों की मानें तो डॉ. शाहीन की तरह ही फिजियोलॉजी, एनॉटमी, मेडिसिन और सर्जरी विभाग से एक के बाद एक सात डॉक्टर लापता हो गए थे. इनमें सर्जरी विभाग के 3 डॉक्टर हैं. बाद में इन्हें भी बर्खास्त कर दिया गया था. शाहीन का मामला सामने आने के बाद अब सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी जांच भी तेज कर दी है.
लापता डॉक्टरों की लोकेशन ट्रेस: बताया जा रहा है कि इनमें से कई आसपास के जिलों में काम भी कर रहे हैं. एजेंसियां इनकी वर्तमान लोकेशन से लेकर मेडिकल कॉलेज में इनके बर्ताव, किन लोगों से मेल जोल रखते थे, इन सभी बिंदुओं पर पड़ताल कर रही हैं. जांच एजेंसियां ये भी पता लगाने में जुटी हैं कि इन डॉक्टरों ने कॉलेज छोड़ने के बाद किसके संपर्क में थे.
शाहीन के फोन में मिले ये सबूत: बता दें कि जांच एजेंसियों को डॉक्टर शाहीन के फोन से कई सबूत मिले हैं. डॉ. शाहीन के फोन से खुलासा हुआ है कि डॉक्टर शाहीन के फोन में मौजूद Threema ऐप के जरिए ये लोग अपने नेटवर्क के बीच बातचीत करते थे. सूत्रों के अनुसार डॉ. उमर, डॉ. मुजम्मिल और डॉ. शाहीन एक-दूसरे से Threema ऐप के जरिए बात करते थे.
क्या है Threema ऐप: दरअसल, Threema एक एन्क्रिप्टेड ऐप है. इस ऐप के जरिए बात करने के लिए फोन नंबर या ईमेल आईडी की आवश्यकता नहीं होती. इसी कारण से Threema ऐप उपभोक्ताओं को ट्रेस करना मुश्किल होता है. डॉ. शाहीन ने भी इसी ऐप का इस्तेमाल किया ताकि पकड़ में न आए.
कश्मीरी छात्रों से एजेंसी कर सकती पूछताछ: कॉर्डियोलॉजी में तीन स्तरीय वेरिफिकेशन की तैयारी शुरू हो गई है. लोकल स्तर पर अस्पताल प्रशासन अपने नए प्रवेश लेने वाले 30 छात्रों का वेरिफिकेशन करेगा. इसके लिए दस बिंदुओं का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. इसमें नाम, मोबाइल नंबर, माता-पिता का नाम, घर का पता, पुराने स्कूल-कॉलेजों की जानकारी आदि शामिल है. इसके बाद पुलिस वेरिफिकेशन और विजिलेंस जांच होगी. वहीं, कश्मीरी छात्रों से अलग से एजेंसी पूछताछ कर सकती है.
















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