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90 किमी चलकर CM योगी से मिलने पहुंची मूक-बधिर ख़ुशी, पैरों में छाले देख भावुक हुए CM

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कानपुर की 20 साल की मूक-बधिर खुशी गुप्ता के दिल में बस एक सपना था- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलना. इसी चाह में वह अकेले ही पैदल 90 किलोमीटर चलकर लखनऊ पहुंच गई. रास्ते में प्यास लगी, पैरों में छाले पड़े, दर्द हुआ… लेकिन वह नहीं रुकी.

.22 नवंबर को वह CM आवास के बाहर रोती मिली तो पुलिस उसे थाने ले गई. जब इसकी जानकारी सीएम योगी तक पहुंची तो उन्होंने तुरंत उसे बुलाने के निर्देश दिए। 26 नवंबर की सुबह खुशी सरकारी गाड़ी से मुख्यमंत्री आवास पहुंची. CM ने सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया. वह उसके छाले देख भावुक हो गए। उसकी पढ़ाई की व्यवस्था कराने, कान की मशीन और परिवार के लिए आवास आदि की सुविधाओं के लिए आदेश दिए. सीएम योगी से खुशी ने इशारों में बस इतना कहा- पुलिस बनना है… और गुंडों को मारना है.

घर में मौजूद मां गीता और रिश्तेदार ने बताया कि खुशी के क्या सपने हैं. एक छोटे से कमरे में रहता है पूरा परिवार कानपुर के ग्वालटोली अहिराना के कल्लू गुप्ता अपने परिवार के साथ बलवंत यादव के मकान में किराए पर रहते हैं. परिवार में पत्नी गीता, 20 साल की मूक-बधिर बेटी खुशी और 15 साल का बेटा जगत है. गरीबी के कारण खुशी की पढ़ाई नहीं हो सकी, जबकि बेटा जगत आर्य नगर इंटर कॉलेज में 10वीं का छात्र है. चारों एक छोटे से कमरे में रहते हैं.

कल्लू पहले मेट्रो कॉरपोरेशन में सिक्योरिटी गार्ड थे लेकिन छह महीने पहले उनकी नौकरी चली गई. परिवार का खर्च चलाने के लिए वह ई-रिक्शा चलाते हैं. वह बताते हैं कि रोजाना करीब 300-400 रुपए कमाई हो जाती है. पत्नी गीता दूसरों के घरों में खाना पकाने का काम करती हैं. वह लगभग 7 हजार रुपए हर महीना कमा लेती है. बताया- इसी आय से 3 हजार रुपए किराया और करीब एक हजार रुपए बिजली बिल में खर्च हो जाते हैं. आर्थिक तंगी के बीच परिवार का पूरा गुजारा इसी एक कमरे में होता है. घर का चूल्हा भी बरामदे में ही जलता है.

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का स्केच बनातीं खुशी.

खुशी 22 नवंबर की सुबह बिना बताए घर से निकली थी मूक-बधिर खुशी घर पर किसी को बताए बिना 20 नवम्बर को घर से निकल गई. वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी का स्केच बनाई थी. इन दोनों स्केच को लेकर वह घर से निकली थी. वह जब घर से निकली तो घर पर कोई नहीं था. पिता कल्लू बेटे को स्कूल छोड़ने गए थे जबकि मां दूसरों के घरों में खाना बनाने निकली थी. कल्लू जब बेटे को स्कूल छोड़कर लौटे तो घर पर खुशी नहीं मिली. उन्होंने पत्नी को फोन कर पूछा. वह भी काम छोड़कर घर पहुंची.

दोनों घबराए, आस-पड़ोस में पूछने लगे. मोहल्ले में, रिश्तेदारों के यहां पता किया लेकिन कहीं पता न चल सका. मजबूर होकर वे ग्वालटोली थाने पहुंचे. खुशी की गुमशुदगी दर्ज कराई। घरवाले परेशान होकर ढूंढ़ रहे थे कि शाम करीब 4.45 बजे कल्लू के मोबाइल फोन पर लखनऊ पुलिस की कॉल आई. मोबाइल पर पूछा- क्या आप खुशी के पिता हैं? आपकी बेटी मुख्यमंत्री आवास के बाहर रोती हुई मिली है. वह CM से मिलने आई थी. यह सुनते ही परिवार की चिंता थोड़ी कम हुई. पुलिस ने बताया कि उसे हजरतगंज थाने ले जाया गया है. पुलिस ने लिखा-पढ़ी के बाद 23 नवम्बर को वापस कानपुर भेज दिया. यहां से परिजन उसे लेकर घर गए.

26 नवंबर को खुशी से मिले मुख्यमंत्री: 26 नवंबर को सीएम योगी अपने सरकारी आवास पर खुशी से मिले. खुशी अपने हाथों से बनाए चार स्केच लेकर पहुंची थी. सभी स्केच उसने CM को भेंट किए। CM ने मुस्कुराकर पूछा- क्या चाहती हो? खुशी ने सैल्यूट किया और इशारों में बोली- पुलिस बनना है. फिर CM ने पूछा- पुलिस बनकर क्या करोगी? खुशी ने हाथों से बंदूक का इशारा किया, गुंडों को मारूंगी. जब उसने पैदल चलने से पैरों में पड़े छाले दिखाए तो मुख्यमंत्री भी भावुक हो उठे. मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तत्काल निर्देश दिए कि खुशी को कान की मशीन उपलब्ध कराई जाए. मूक-बधिर बच्चों के विशेष स्कूल में उसका एडमिशन सुनिश्चित कराया जाए. साथ ही परिवार को आवास योजना का लाभ दिलाने और कपड़ों का पैकेट उपलब्ध कराने के आदेश भी दिए.

देर शाम पूरा मोहल्ला खुशी के स्वागत में उमड़ा बुधवार शाम 6 बजे खुशी अपने परिवार के साथ लखनऊ से कानपुर पहुंची. खुशी जब शाम को घर लौटी तो गली तालियों से गूंज उठीं. लोग उसके घर पहुंचने लगे. मां गीता ने भावुक होकर कहा, हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें घर मिलेगा लेकिन मुख्यमंत्री ने मेरी बेटी का मन पढ़ लिया.

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