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देवउठनी एकादशी आज, जानें पूजन मुहूर्त और उपासना विधि; राशि अनुसार करें उपाय

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आज पूरे देश में देवउठनी एकादशी का पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी से योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने बाद इसी दिन जागते हैं. इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जिसके दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते. जब भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं, तब से सभी मांगलिक कार्यों की पुनः शुरुआत होती है. इसी कारण देवउठनी एकादशी का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं कि आज श्रीहरि के पूजन का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा. 

देवउठनी एकादशी की तिथि 1 नवंबर यानी आज सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 2 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगा. इसलिए, उदयातिथि के अनुसार, देवउठनी एकादशी 1 नवंबर यानी आज ही मनाई जा रही है. इस व्रत का पारण 2 नवंबर को होगा, जिसका समय दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 23 मिनट तक होगा.

देवउठनी एकादशी पूजन विधि: देवउठनी एकादशी के अवसर पर घरों में गन्ने का सुंदर मंडप सजाने की परंपरा होती है. इस मंडप के बीच में आकर्षक चौक बनाया जाता है और उसके केंद्र में भगवान विष्णु की मूर्ति या उनका चित्र स्थापित किया जाता है. चौक के समीप भगवान विष्णु के चरण चिह्न बनाए जाते हैं, जिन्हें ढककर रखना शुभ माना जाता है. इसके बाद भगवान को गन्ना, सिंघाड़ा, मौसमी फल और मिठाइयों का भोग अर्पित किया जाता है. पूजा संपन्न होने के बाद घी का दीपक जलाया जाता है, जो पूरी रात जलता रहता है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है.

देवउठनी एकादशी पर राशि अनुसार उपाय

मेष:देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शाम के समय तुलसी देवी को फूल और चंदन चढ़ाएं. विष्णु जी को भोग में खीर अर्पित करें.
वृषभ: देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए तुलसी देवी को भोग में दूध-चावल की खीर चढ़ाएं और भगवान शालिग्राम को दूध से स्नान कराकर उनकी विधि विधान से पूजा करें.
मिथुन: देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए हरी मूंग दाल दान करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
कर्क:देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विष्णु जी का अभिषेक दूध से करें और हल्दी की गांठें भी चढ़ाएं.
सिंह: देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान श्रीहरि को गुड़ और गन्ने का भोग अर्पित करें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें.
कन्या:देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए हरे वस्त्र या फल दान गरीबों में करें और शाम में तुलसी देवी के सामने दीया जलाएं.
तुला: देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए एक साथ मां लक्ष्मी और श्रीहरि की पूजा करें और भोग में मिश्री व सफेद मिठाई चढ़ाएं.
वृश्चिक:देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विष्णु जी के मंदिर में पीले वस्त्र और फल का दान करें. विष्णु चालीसा का पाठ करें.
धनु:देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विष्णु जी को पीले फूल चढ़ाएं और भगवान के मंत्र का जाप करें मंत्र है-‘ॐ नमो नारायणाय’.
मकर:भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं. पूजा में नीले रंग के आसन का प्रयोग करें. ‘ॐ महात्मने नमः और ऊँ लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जप करें.
कुंभ :देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाएं और तिल या कंबल का दान करें.
मीन : देवउठनी एकादशी पर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विष्णु जी को केला और हल्दी चढ़ाएं. भगवान के सामने बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.

एकादशी पर न करें ये कार्य 

1. इस दिन चावल खाना पूरी तरह ​वर्जित माना गया है. इसके अलावा मांसाहार या तामसिक गुणों वाली चीजों का सेवन करने से भी बचना चाहिए. 

2. जिन लोगों ने एकादशी का व्रत रखा है, वे लकड़ी के दातून या पेस्ट से दांत साफ न करें. क्योंकि इस दिन किसी पेड़-पौधों के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए. 

3. एकादशी के दिन तुलसी तोड़ने से बचें, क्योंकि तुलसी विष्णु की प्रिया हैं. 

4. भोग लगाने के लिए पहले से तुलसी तोड़ लेनी चाहिए, लेकिन अर्पित की गई तुलसी स्वयं ग्रहण न करें. 

5. व्रत रखने वाले भूल से भी गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग आदि का सेवन नहीं करें.

देवउठनी एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप : देवउठनी एकादशी के दिन व्रत रखने वाले लोगों को भगवान विष्णु का ध्यान करने के बाद विशेष मंत्रों का जाप भी करना चाहिए. इन मंत्रों का जाप 11, 21 और 108 बार करना चाहिए.

”उठो देव देवकीनंदन, उठो गोविंद माधव। कार्तिक मास पवित्र हो, जगत में सुख-शांति प्रवाहव॥”

”ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः।”

”शयनोत्थानसमये यः स्मरेत् मां जनार्दनम्। तस्य दुःखानि नश्यन्ति, सुप्रभातं शुभं भवेत्॥” 

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