आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खराब दिनचर्या और जीवनशैली कई गंभीर बीमारियां न्योता देती है. कम उम्र में ही युवा मधुमेह (डायबिटीज) जैसी बीमारी का शिकार हो रहे हैं, जबकि कुछ बच्चे जन्मजात प्रभावित होते हैं.
आम धारणा है कि मीठा ज्यादा खाने से डायबिटीज होता है, लेकिन सच्चाई यह है कि मीठा कम खाने से भी यह हो सकता है. आइए, मधुमेह को गहराई से समझें- कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपायों सहित.
मधुमेह तब होता है जब शरीर में इंसुलिन हार्मोन का सही उपयोग न हो पाए. पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता है, लेकिन किसी गड़बड़ी से यह प्रभावित हो जाता है. नतीजा? रक्त में ग्लूकोज जमा होने लगता है, जो शरीर को अंदर से खोखला कर देता है. कारणों में ज्यादा वसा-कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन, तनाव, अनियमित नींद, शारीरिक निष्क्रियता प्रमुख हैं.
आश्चर्यजनक रूप से, मीठा कम खाना भी असंतुलन पैदा कर सकता है, क्योंकि यह चयापचय प्रक्रिया को प्रभावित करता है. आयुर्वेद में इसे वात, कफ और मेद दोष का विकार माना गया है, जो धीरे-धीरे शरीर को कमजोर बनाता है.
लक्षण स्पष्ट होते हैं: लगातार थकान, अचानक वजन घटना, बार-बार पेशाब आना, पैरों में झुनझुनी या सुन्नता, धुंधला दिखना और किडनी-दिमाग पर बुरा असर. अनियंत्रित रहने पर हृदय रोग, स्ट्रोक जैसी जटिलताएं बढ़ जाती हैं.
नियंत्रण के लिए देसी उपाय अपनाएं: सुबह मेथी दाने भिगोकर पानी पिएं, यह इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाता है. ताजा करेले का जूस या जामुन की गुठलियां पीसकर बनाया शरबत शुगर कंट्रोल करता है. साबुत धनिया के बीज उबालकर पानी पिएं, जो विषाक्त पदार्थ निकालता है। रात को त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें. रोज 30 मिनट पैदल चलें या योग करें। आहार में हरी सब्जियां, दालें, साबुत अनाज और कम ग्लाइसेमिक फल (जैसे सेब, अमरूद) बढ़ाएं। चाय-कॉफी कम करें, रात को हल्दी दूध पिएं.
याद रखें-ये उपाय सहायक हैं. डॉक्टर की सलाह से दवा जारी रखें, नियमित जांच करवाएं. स्वस्थ जीवनशैली से मधुमेह को काबू में रखा जा सकता है. शुरुआत आज से करें.















Leave a Reply