कार्तिक पूर्णिमा सनातन धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक मानी जाती है. इस साल यह 5 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है. दिवाली के 15वें दिन आने वाली यह पूर्णिमा धार्मिक दृष्टि से बेहद खास होती है. इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान, भगवान की पूजा-अर्चना और दान-पुण्य करते हैं. ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
वहीं, आज ही देव दीपावली का पर्व भी पूरे श्रद्धा और भव्यता से मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस रात स्वयं देवी-देवता काशी के घाटों पर उतरकर दीपों से दिवाली मनाते हैं. भगवान विष्णु के लक्ष्मी-नारायण स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 4 नवंबर यानी कल रात 10 बजकर 36 मिनट पर शुरू हो चुकी है और इस तिथि का समापन 5 नवंबर यानी आज शाम 6 बजकर 48 मिनट पर होगा.

कार्तिक पूर्णिमा पर दान-स्नान का मुहूर्त: कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और दान-पुण्य करने का शुभ मुहूर्त आज सुबह 04 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर सुबह 5 बजकर 44 मिनट तक रहने वाला है. इस पावन अवसर पर आप जरूरतमंदों और असहाय लोगों की मदद के लिए दान-पुण्य कर सकते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा 2025 पूजन मुहूर्त: कार्तिक पूर्णिमा पर आज पूजन का मुहूर्त सुबह 7 बजकर 58 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.
वहीं, प्रदोषकाल का मुहूर्त शाम 5 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. जिसमें दीपदान जैसे शुभ काम किए जा सकते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा 2025 शुभ योग: इस बार कार्तिक पूर्णिमा बहुत ही खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 6 बजकर 34 मिनट से लेकर 6 नवंबर की सुबह 6 बजकर 37 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, रवि योग का संयोग भी रहने वाला है. इन सभी योगों में भी कार्तिक पूर्णिमा का पूजन किया जाएगा.
कार्तिक पूर्णिमा 2025 पूजन विधि: कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है. यदि संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें. इसके बाद पीले या सफेद वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करें. तुलसी के पौधे के सामने दीप जलाएं और भगवान को पुष्प, धूप, नैवेद्य और तुलसी दल अर्पित करें. शाम के समय दीपदान, कीर्तन और दान-पुण्य करना विशेष फलदायी माना गया है. कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति कराता है.
कार्तिक पूर्णिमा महत्व: कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म के सबसे शुभ दिनों में से एक मानी जाती है. यह दिन कार्तिक महीने में आता है और पूरा महीना भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित होता है. इसी दिन देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा अपनी संपूर्ण अवस्था में होता है और उसकी दिव्य किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं. कहा जाता है कि इस पवित्र दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और चंद्रदेव की कृपा से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है.

देव दिवाली शुभ मुहूर्त
➤देव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा को मनाते हैं.
➤कार्तिक पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर, मंगलवार को रात 10:36 बजे से शुरू.
➤कार्तिक पूर्णिमा की समापन तिथि 5 नवंबर, बुधवार, शाम 6:48 बजे.
➤ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:52 बजे से लेकर सुबह 05:44 बजे तक.
➤देव दीपावली पर प्रदोष काल में पूजा करने का विधान है. पूजा का मुहूर्त शाम 05:15 बजे से शाम 07:50 बजे तक है.
➤देव दीपावली के दीप भी इसी समय पूजा के बाद जलाए जाएंगे.
देव दिवाली पूजा विधि: घर पर देव दिवाली पूजा के लिए सुबह उठकर स्नान करें और सबसे पहले घर की नियमित पूजा करें. इसके बाद प्रदोष काल की पूजा के लिए फिर से स्नान कर लें साफ कपड़े पहनें. इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़कें. भगवान शिव या शिवलिंग का अभिषेक गंगाजल से करें. अक्षत, चंदन, फूल, माला के साथ ही बेलपत्र, भांग, धतूरा भगवान को चढ़ाएं. आक के फूल, गाय के दूध के अलावा शहद, फल व नैवेद्य, धूप आदि चढ़ाएं. अब शिव जी के मंत्र का जाप करें मंत्र है- ओम नम: इसके बाद भके सामने बैठ जाएं और शिव चालीसा का पाठ करें. देव दिवाली की कथा को सुनें और सुनाएं. घी वाले दीपक या कपूर जलाकर शिव जी की आरती करें. इसके बाद भोलेनाथ के सामने 8 या 12 मुखी दीपक जलाकर उनका ध्यान करें. देव दिवाली पर घर में 5, 7, 11, 51 या 101 मिट्टी का दिया जलाएं. सरसों या तिल के तेल का दिया जलाएं और घर की अलग अलग जगहों पर रख दें.
दीप जलाने का मंत्र: शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।। दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:। दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते।।
दीपदान करते समय बोलें ये मंत्र: शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा। शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।।

















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