कहते हैं कि षटतिला एकादशी पर व्रत रखने और पूजा पाठ करने से परिवार पर श्री हरि का आशीर्वाद बरसता है. धार्मिक विद्वानों के अनुसार, इस दिन व्रत करने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है. यदि आप उन नियमों को नहीं जानते या उल्लंघन करके व्रत रखते हैं तो आपको कोई पुण्य लाभ नहीं मिलता. आइए जानते हैं कि इस दिन व्रत के कौन से नियमों का पालन करना चाहिए.
षटतिला एकादशी के नियम
प्रसाद चढ़ाते समय कौन सा मंत्र जपें: सनातन धर्म के विद्वानों के अनुसार, षटतिला एकादशी वाले दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही उन्हें फल, फूल, मिस्री, खीर का भोग अर्पित करना चाहिए. इस दौरान ‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये. गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ..’ मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए. कहते हैं कि इस मंत्र के जाप से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होते हैं और जातक का भोग स्वीकार कर उसे मनचाहा वर प्रदान करते हैं.
षटतिला एकादशी पर क्या न खाएं?
यदि आप षटतिला एकादशी का व्रत कर रहे हों तो उस दिन तामसिक प्रवृति वाले भोजन से पूरी तरह दूर रहना चाहिए. आपको लहसुन-प्याज, तेज मसाले, चिकनाई, मांस-मदिरा, नशे की चीजों को पूरी तरह त्याग देना चाहिए. ये सब चीजें न केवल व्रत को निष्फल बना देती हैं बल्कि दंड का भागी भी बनाती हैं. इसके साथ ही इस दिन अन्न का सेवन भी नहीं करना चाहिए.
षटतिला एकादशी पर क्या खाएं?
ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, षटतिला एकादशी के व्रत वाले दिन आप राजगीर का आटा, नारियल, शकरकंद, बादाम, साबुदाना, शरबत, फल, दही, दूध और आलू आदि का सेवन कर सकते हैं. आप उस दिन विभिन्न तरह के फल भी खा सकते हैं. आप सेंधा नमक का भी सेवन कर सकते हैं. लेकिन सेवन करने से पहले यह जरूर ध्यान रख लें कि भगवान विष्णु की आराधना और उन्हें भोग लगाने के बाद देर शाम को प्रसाद ग्रहण करें. ऐसा न करने पर व्रत का पूरा फल नहीं मिलता है.
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