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धनतेरस पर कुबेर देव को प्रसन्‍न करने के लिए ये करें उपाय, जरूर खरीदें ये 10 सस्ती चीजें

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कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. कहते हैं कि इसी दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन से अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे. धनतेरस पर धनवंतरी, मां लक्ष्मी और कुबेर महाराज की पूजा करने से बहुत लाभ मिलता है. इस दिन कुछ खास चीजों को खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है. इस साल 18 अक्टूबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा.

धनतेरस पूजा मुहूर्त: धनतेरस की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर की शाम 07:15 बजे से रात्रि 08:19 बजे तक. वहीं धनतेरस के दिन प्रदोष काल: शाम 05:48 बजे से रात्रि 08:19 बजे तक रहेगा. यम दीपक निकालने के लिए प्रदोष काल का समय अच्‍छा माना जाता है.

धनतेरस पूजा सामग्री: भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर देव और गणेश जी की मूर्तियां या चित्र. चौकी, चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा, तांबे या पीतल का कलश, गंगाजल या शुद्ध जल, तिलक लगाने के लिए रोली और चंदन, अक्षत (साबुत चावल ही लें, चावल टूटे हुए नहीं होने चाहिए), फूल, फूल की माला, कलावा, धूप, मिट्टी के 13 दीए, तेल या घी, कपूर, सुपारी, लौंग, पान का पत्‍ता, मिठाई, खील, बताशे, मेवे, फल, साबुत धनिया. धनतेरस के दिन धनिया, धातु की वस्‍तुएं, गहने, सिक्‍के खरीदना और उनकी पूजा करना बेहद शुभ होता है. साथ ही इस दिन नई झाड़ू खरीदकर उसकी पूजा की जाती है. साथ ही पंडित और जरूरतमंदों के लिए दान-दक्षिणा का सामान. यम के लिए बड़ा दीपक जिसमें सरसों का तेल या तिल का तेल लें, दीपक को गेहूं के ढेर पर रखने के लिए एक मुट्ठी गेहूं. (यदि इनमें से कोई सामग्री उपलब्‍ध ना हो पाए तो मन से उसे अर्पित करें)

आइए जानते हैं कि धनतेरस पर कौन सी चीजें खरीदने से आपकी तकदीर संवर सकती है.

लक्ष्मी जी की प्रतिमा: दिवाली के शुभ अवसर पर भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा का विधान है. इस दिन मां लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश दोनों की संयुक्त पूजा की जाती है. धनतेरस पर माता लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति खरीदें. लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां अलग-अलग होनी चाहिए. ध्यान रहे कि इस दिन कमल पर विराजित लक्ष्मी को घर लाना उत्तम होता है.

दक्षिणावर्ती शंख: समुद्र मंथन से निकलने वाले दक्षिणावर्ती शंख को मां लक्ष्मी का भाई माना जाता है. इस शंख की ध्वनि बेहद मंगलकारी होती है. धनतेरस पर दक्षिणाणवर्ती शंख खरीदें और उसे घर के मंदिर में रख दें. दीपावली पर इसकी पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है.

कुबेर यंत्र: धनतेरस के त्योहार पर घर में कुबेर यंत्र की स्थापना करना भी बहुत शुभ होता है. इस दिन कुबेर यंत्र लेकर आएं और घर के मंदिर में स्थापित करें. पूरे साल धन लाभ होगा.

चांदी: चांदी सुख-समृद्धि देने वाली धातु मानी जाती है. धनतेरस पर चांदी के आभूषण या चांदी का सिक्का खरीदना शुभ माना जाता है. दिवाली पूजा में इस सामान को देवी लक्ष्मी के समक्ष रखा जाता है.

गोमती चक्र: गोमती चक्र एक खास तरह का पत्थर होता है. यह कई रंगों का होता है, लेकिन सफेद गोमती चक्र सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. आप इसे रत्न की तरह अंगूठी में डाल सकते हैं. धनतेरस पर आप दो या पांच गोमती चक्र खरीद सकते हैं. गोमती चक्र दीपावली के दिन मां लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है.

खील बताशे: धनतेरस के दिन खील बताशे खरीदना बहुत शुभ माना जाता है.   खील बताशे शुक्र का प्रतीक होते हैं और सुख-संपन्नता बढ़ाते हैं. दिवाली की पूजा के दौरान मां लक्ष्मी को खील बताशे अर्पित किए जाते हैं. खील बताशे को मिटटी के पात्र में रखकर पूजा करना उत्तम होता है.

कौड़ी: कौड़ी समुद्री जीवों का खोल है. धन के रूप में इसका प्रयोग प्राचीन काल से होता आया है. धनतेरस पर पांच या नौ कौड़ियां खरीदें. कौड़ी को दीपावली के दिन अर्पित करने या पूजा में इस्तेमाल करने से आर्थिक मोर्चे पर लाभ होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.

झाड़ू: शास्त्रों में झाड़ू को शुभता और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए धनतेरस पर झाड़ू खरीदने की परंपरा है. धनतेरस और दिवाली के दिन इसकी पूजा भी करनी चाहिए. इसके बाद ही इसका उपयोग करें.

बर्तन: धनतेरस पर आप किसी भी तरह का बर्तन खरीद सकते हैं.  हालांकि इस त्योहार पर पानी का पात्र खरीदना सबसे अच्छा है.  इस दिन आप गिलास, कलश या लोटा खरीद सकते हैं. इन बर्तनों को दीपावली के बाद प्रयोग करें.

धनिया: धनतेरस के दिन साबुत धनिया खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन धनिया लाने के बाद उन्हें पूजन स्थल पर रखें. कहते हैं कि इससे भगवान कुबेर और धनवतंरी प्रसन्न होते हैं. दिवाली के बाद सुबह इन्हें गमले में डाल दें.

धनतेरस की पूजा विधि: धनतेरस की सुबह जल्‍दी उठकर जल्‍दी स्‍नान करें. फिर घर के ईशान कोण में पूजा की व्‍यवस्‍था करें. पूजा के समय ऐसे बैठें कि आपका मुख ईशान कोण, पूर्व या उत्‍तर दिशा में हो. सुनिश्चित करें कि पूजा में घर के सभी सदस्‍य मन:पूर्वक शामिल हों. फिर पंचदेव सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु का आह्वाहन करें.

धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा करना चाहिए. अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें. यानी कि पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार. पूजन के अंत में दक्षिणा भी चढ़ाएं.

यदि षोडशोपचार पूजा ना भी कर पाएं तो धन्वं‍तरि देव और कुबेर देव, लक्ष्‍मी माता के सामने दीपक जलाएं, धूप जलाएं. उनको हल्‍दी कुमकूम, चंदन और चावल से तिलक लगाएं. हार और फूल चढ़ाएं. पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप करें. फिर सात्विक चीजों का प्रसाद चढ़ाएं. हर पकवान पर तुलसी का एक पत्ता जरूर रखें. आखिर में आरती करें.

धनतेरस के दिन जरूर यम का दीपक: धनतेरस की पूजा के बाद शाम को प्रदोष काल में मुख्‍य द्वार पर दीपक जलाएं. इसके लिए घर के बाहर 13 दीपक और घर के अंदर 13 दीपक जलाएं. वहीं रात को सभी के सोने के बाद गृहस्‍वामिनी एक दीया यम के नाम का भी जलाएं. यम का दीपक पुराना और उसमें सरसों का तेल डालें. इसे घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख करके नाली या कूड़े के ढेर के पास रखें.

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