पांच दिन के दीपावली महापर्व में चौथे दिन गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना की जाती है. हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने का विधान है. इस तिथि को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन घरों में अन्नकूट का भोग बनाया जाता है. श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं. घर के आंगन में या घर के मुख्य द्वार के सामने गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकरशुभ मुहूर्त में पूजा की जाती है.
ये प्रकृति की पूजा है, जिसका आरंभ भगवान कृष्ण ने किया था. इस दिन समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा होती है. ये पूजा ब्रज से आरंभ हुई थी और धीरे धीरे ये पूजा पूरे भारतवर्ष में प्रचलित हो गई. यह त्योहार विशेष रूप से ब्रज (मथुरा, वृंदावन), गुजरात और राजस्थान में धूमधाम से मनाई जाता है.
इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा होती है, जिसे भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर उठा कर इंद्रदेव के अहंकार को दूर किया था. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान को छप्पन भोग यानी 56 प्रकार के व्यंजन जैसे दाल, चावल, मिठाई, फल, सब्जी आदि अर्पित किए जाते हैं. ये भोग भगवान के प्रति कृतज्ञता और प्रेम का प्रतीक है. इस बार यह त्योहार 22 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा.

गोवर्धन पूजा 2025 तिथि व मुहूर्त: इस साल गोवर्धन पूजा पर 22 अक्टूबर 2025 को प्रातःकाल मुहूर्त में सुबह 06:30 बजे से लेकर 08:47 बजे तक पूजा की जा सकेगी. वहीं दोपहर 03:36 बजे से लेकर 05:52 बजे तक सायाह्नकाल मुहूर्त गोवर्धन पूजा के लिए होगा.
गोवर्धन पूजा मंत्र: इस मंत्र का करें जाप- -गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
इस मंत्र का करें जाप- लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
इस मंत्र का करें जाप- ॐ क्लीं कृष्णाय नमः
इस मंत्र का करें जाप- श्री कृष्णाय वयं नुम:
इस मंत्र का करें जाप- सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे। तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुम:।।
इस मंत्र का करें जाप- ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात
गोवर्धन पूजा की सामग्री: रोली, अक्षत, चावल, बताशा नैवेद्य, मिठाई, गंगाजल, पान फूल, खीर,सरसों के तेल का दीपक गाय का गोबर गोवर्धन पर्वत की फोटो दही, शहद, धूप-दीप, कलश केसर, फूल की माला कृष्ण जी की प्रतिमा या तस्वीर गोवर्धन पूजा की कथा की किताब
गोवर्धन पूजा विधि: गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जा सकती है. पूजा से पहले स्नान कर लें. गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और फूलों से सजाएं. गोवर्धन की नाभि वाली जगह पर दीपक रखें. इस दीपक में दही, शहद, बताशे डालें. दूध, गंगा जल भी एक एक बूंद डालें. अब गोवर्धन आकृति की लोटे से जल गिराते हुए व जौ बोते हुए 7 बार परिक्रमा करें. अब गाय, बैल जैसे पशुधन की पूजा करें. गिरिराज जी गोवर्धन पर्वत की आरती कर पूजा संपन्न करें.
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