आजमगढ़ में 50 हजार के इनामी गो-तस्कर वाकिफ को एनकाउंटर में मार गिराया गया. बुधवार रात लूट के सुराग जुटाने के लिए पुलिस टीम गश्त कर रही थी तभी एसटीएफ को सूचना मिली कि वाकिफ और उसके तीन साथी थाना रौनापार क्षेत्र की ओर भाग रहे. इस पर टीम ने उनकी घेराबंदी की.
जैसे ही बदमाशों को घेरा गया, उन्होंने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. एसटीएफ की जवाबी फायरिंग में वाकिफ को गोली लग गई. गोली लगते ही वह जमीन पर गिर पड़ा। पुलिस उसे सीएचसी हरैया लेकर पहुंची, जहां शुक्रवार सुबह डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
वाकिफ के तीन साथी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए. एसटीएफ टीम का नेतृत्व डिप्टी एसपी डीके शाही कर रहे थे. यह वही डीके शाही हैं, जिन्होंने सुल्तानपुर डकैती कांड में वांटेड मंगेश यादव का एनकाउंटर किया था.
उस पर गो-तस्करी, चोरी, हत्या और लूट जैसे गंभीर अपराधों के 44 से अधिक मुकदमे आजमगढ़, गोरखपुर और जौनपुर सहित कई जिलों में दर्ज थे. वह अपने गिरोह के साथ मिलकर दूध देने वाले पशुओं की चोरी और गोवंश की अवैध तस्करी करता था.

8 साल पहले पहला क्राइम किया, खुद का गैंग बनाया: 27 साल का वाकिफ आजमगढ़ के फूलपुर का रहने वाला था. उसके पिता कलाम उर्फ सलाम मजदूरी और फेरी का काम करते हैं. वाकिफ ने 2015 में अपराध की दुनिया में कदम रखा. आजमगढ़ के सरायमीर थाने में उस पर पशु चोरी का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था.
इसके बाद वह लगातार अपराध करता चला गया और उसने अपना गैंग बना लिया. वह गैंग के साथ मिलकर दूध देने वाले पशुओं की चोरी और गोवंश की अवैध तस्करी करता था. गैंग में अरशद, राकेश उर्फ राका, जावेद, मेराज, सुरेंद्र यादव, शहजादे उर्फ छेदी, मोहम्मद आकिल, हसीम उर्फ शेरू और शकील उर्फ भीमा जैसे अपराधी शामिल थे.
पकड़ा न जाए, इसलिए मोबाइल नहीं रखता था: वाकिफ का नाम 2023 में गोरखपुर के एक गो-तस्करी कांड में सामने आया था. इसके बाद उस पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था. उस पर नेपाल बॉर्डर के रास्ते तस्करी का नेटवर्क चलाने का भी आरोप था. जांच में सामने आया है कि पकड़ने जाने के लिए डर से वाकिफ मोबाइल नहीं रखता था.

















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