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हिंडनबर्ग की कारस्तानी को इस बार निवेशकों ने किया नाकाम, सेंसेक्स 80000 के पार

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हिंडनबर्ग के हमले को इस बार मार्केट के निवेशकों ने किया नाकाम कर दिया जिससे सेंसेक्स 80000 के पार हो गया. सेंसेक्स शुरुआती झटकों के बाद अब 355 अंकों की उछाल के साथ 80061 पर पहुंच गया है. शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच सेंसेक्स महज 25 अंक के नुकसान के साथ 79680 के लेवल पर है जबकि, निफ्टी 19 अंक नीचे 24348 पर ट्रेड कर रहा है.

निफ्टी टॉप गेनर में जेएसडब्ल्यू स्टील 1.66 फीसद की तेजी के साथ 920.15 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. एचडीएफसी बैंक आज 1.10 फीसद ऊपर है. एक्सिस बैंक में भी एक फीसद से अधिक ऊपर है. निफ्टी टॉप लूजर में अब भी अडानी एंटरप्राइजेज 2.40 फीसद की गिरावट के साथ टॉप पर है.

एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

एक्टपर्ट का कहना है कि हिंडनबर्ग के आरोपों के पीछे लाभ हासिल किए जाने की मंशा छिपी हो सकती है. चूंकि, पिछली रिपोर्ट से मार्केट में बड़े स्तर पर उथल-पुथल देखने को मिली थी. ऐसे में नई रिपोर्ट से भी मार्केट को प्रभावित किया जा सकता है. कुछ समय के लिए शेयर मार्केट और अडाणी स्टॉक्स पर असर पड़ सकता है. हालांकि, लंबे समय तक बड़े इंपैक्ट या रिस्क नहीं है. अगर गिरावट आती है तो निवेशक अडाणी स्टॉक्स खरीदने पर विचार कर सकते हैं.

हिंडनबर्ग का ‘हिडन’ मकसद क्या हो सकता है?

हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है, जो इस तरह के आरोप लगाकर बाजार में शॉर्ट सेलिंग कर मुनाफा कमाने का काम करती है. इस कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन हैं. कंपनी का काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है. इस रिसर्च के जरिए कंपनी पता लगाती है कि क्या स्टॉक मार्केट में कहीं गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी हो रही है? इसे लेकर रिसर्च रिपोर्ट जारी करती है. इन्वेस्टमेंट फर्म होने के साथ ही हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग कंपनी भी है. कंपनी की प्रोफाइल के मुताबिक, ये एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है और इसके जरिए अरबों रुपये की कमाई करती है. शॉर्ट सेलिंग एक तरह की ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है. इसमें कोई किसी खास कीमत पर स्टॉक या सिक्योरिटीज खरीदी जाती है और फिर कीमत ज्यादा होने पर उसे बेच देता है, जिससे उसे जोरदार फायदा होता है. 

शॉर्ट सेलिंग का पूरा खेल क्या है?

ये कंपनी शॉर्ट सेलर रूप में मोटी कमाई करती है. शॉर्ट सेलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निवेशक उन स्टॉक्स को उधार लेते हैं जिन्हें वे उम्मीद करते हैं कि उनकी कीमत गिर जाएगी और फिर उन्हें बेच देते हैं. जब स्टॉक की कीमत गिर जाती है तो वे उन्हें वापस खरीदते हैं और उधारदाता को लौटाते हैं, जिससे उन्हें लाभ होता है. उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर किसी कंपनी के शेयर को शॉर्ट सेलर इस उम्मीद से खरीदता है कि भविष्य में 200 रुपये का स्टॉक गिरकर 100 रुपये पर आ जाएगा. इसी उम्मीद में वो दूसरे ब्रोकर्स से इस कंपनी के शेयर उधार के तौर पर ले लेता है.

ऐसा करने के बाद शॉर्ट सेलर इन उधार लिए गए शेयरों को दूसरे निवेशकों को बेच देता है, जो इसे 200 रुपये के भाव से ही खरीदने को तैयार बैठे हैं. जब उम्मीद के मुताबिक, कंपनी का शेयर गिरकर 100 रुपये पर आ जाता है तो शॉर्ट सेलर उन्हीं निवेशकों से शेयरों की खरीद करता है. गिरावट के समय में वो शेयर 100 रुपये के भाव पर खरीदता है और जिससे उधार लिया था उसे वापस कर देता है. इस हिसाब से उसे प्रति शेयर 100 रुपये का जोरदार मुनाफा होता है. इसी रणनीति के तहत हिंडनबर्ग कंपनियों को शॉर्ट कर कमाई करती है.

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