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सावन के चौथे सोमवार इस विधि से करें महादेव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और व्रत संकल्प

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सावन माह को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और इस महीने के प्रत्येक सोमवार को विशेष रूप से शिव भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है. आज सावन माह का चौथा सोमवार है. सावन का चौथा सोमवार भगवान शिव की विधिवत उपासना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन महादेव के भक्त व्रत रखते हैं. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाते हैं. फिर भगवान शिव से सुख-समृद्धि और मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं.

सावन के चौथे सोमवार शिव की पूजा कैसे करें?

1. स्नान और शुद्धिकरण- सावन के चौथे सोमवार सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर में पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल छिड़कें

2. व्रत और संकल्प- यदि आप सावन के चौथे सोमवार व्रत कर रहे हैं तो भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. पूरे दिन फलाहार या केवल जलाहार रहने का नियम अपनाएं. साथ ही साथ अपनी सेहत का भी ख्याल रखें.

3. पूजा सामग्री- शिवलिंग, भगवान शिव की मूर्ति, जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल (पंचामृत), बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, रोली, मौली धागा, चावल (अक्षत), दीपक, अगरबत्ती, मिठाई और फल, धूप, कपूर.

4. शिवलिंग का अभिषेक- सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल चढ़ाएं. इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) से अभिषेक करें. फिर से शुद्ध जल चढ़ाकर शिवलिंग को शुद्ध करें.

5. पूजा-अर्चना- शिवलिंग पर अक्षत (चावल), बेलपत्र, और धतूरा चढ़ाएं. भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें और दीपक जलाएं. धूप और कपूर जलाकर आरती करें. फिर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. आप “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं.

6. प्रसाद और आरती- पूजा के बाद भगवान शिव को प्रसाद अर्पित करें. आरती के साथ भगवान शिव की स्तुति करें. आरती के बाद प्रसाद को भक्तों में बांट दें और स्वयं भी ग्रहण करें.

7. व्रत का समापन- दिनभर उपवास करने के बाद शाम को पूजा करके व्रत का समापन करें. आप फलाहार या भोजन कर सकते हैं. इस विधि से सावन के चौथे सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होगा.

8. शुभ मुहूर्त- पंचांग के अनुसार, सावन के चौथे सोमवार यानी 12 अगस्त को सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. महादेव की पूजा-अर्चना के लिए यह मुहूर्त सबसे उत्तम रहने वाला है.

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