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साल का दूसरा व अंतिम सूर्य ग्रहण बुधवार, 2 अक्टूबर को लगने वाला है. यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगने जा रहा है. यह वलयाकार सूर्य ग्रहण है, जो भारत में दर्शनीय नहीं होगा. यह सूर्य ग्रहण इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन सर्वपितृ अमावस्या भी पड़ रही है. ऐसे में लोगों को चिंता है कि कहीं सूर्य ग्रहण के चलते पितरों के श्राद्धकर्म में कोई बाधा न आ जाए. आइए जानते हैं कि यह सूर्य ग्रहण कब, कहां और कितने बजे दिखेगा. साथ ही यह भी जानेंगे कि भारत में इसका सूतक काल मान्य होगा या नहीं.

कितने बजे लगेगा सूर्य ग्रहण?

साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लग रहा है. भारतीय समय के अनुसार, इसका आरंभ 2 अक्टूबर की रात को 09.12 बजे होगा. मध्य रात्रि तकरीबन 12.15 बजे सूर्य ग्रहण का प्रभाव सबसे अधिक रहेगा. ग्रहण का समापन 3 अक्टूबर की रात 03.17 बजे होगा. सूर्य ग्रहण की अवधि करीब 6 घंटे 5 मिनट की होगी.

कहां-कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण? 

खगोलविदों का कहना है कि यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा. यह ग्रहण दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी भागों, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक, अंटार्कटिका, अर्जेंटीना, उरुग्वे, ब्यूनस आयर्स, बेका आइलैंड, फ्रेंच पॉलिनेशिया महासागर, उत्तरी अमेरिका के दक्षिण भाग फिजी, न्यू चिली, ब्राजील, मेक्सिको और पेरू में कुछ जगहों पर दिखाई देगा.

क्या भारत में लगेगा सूतक काल? 

शास्त्रों के अनुसार, सूर्य ग्रहण से करीब 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. अन्यथा सूतक काल में शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. इस दौरान देवी-देवताओं की पूजा पाठ व उनका स्पर्श भी वर्जित है. इसलिए इस अवधि में मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं.

कैसे देख सकते हैं सूर्य ग्रहण?

सूर्य ग्रहण को देखने के लिए कुछ सावधानियों और सही तरीकों का पालन करना जरूरी है ताकि आपकी आंखों को नुकसान न पहुंचे. नग्न आखों से सूर्य ग्रहण कभी नहीं देखना चाहिए. सूर्य ग्रहण देखने के लिए खास बनाए गए चश्मे का इस्तेमाल करें. आप दूरबीन या टेलीस्कोप का उपयोग करके सूर्य की छवि को किसी सफेद स्क्रीन या दीवार पर प्रोजेक्ट कर सकते हैं. इस विधि से आप सीधे सूर्य को नहीं देखेंगे, बल्कि उसकी छवि देखेंगे.

किन सावधानियों का पालन करें?

आमतौर पर जब सूर्य ग्रहण भारत में दिखता है तो 12 घंटे पहले इसका सूतक काल भी लग जाता है. इस काल में बहुत सारी सावधानियों का पालन भी करना पड़ता है. लेकिन यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा. इसलिए किसी तरह के नियमों के पालन की आवश्यकता नहीं होगी. गर्भवती महिलाओं को भी किसी तरह के चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है.

क्यों खास है यह सूर्य ग्रहण?

इस सूर्य ग्रहण में सूर्य, चन्द्रमा, बुध और केतु का संयोग बनेगा. राहु और केतु का अक्ष मीन और कन्या राशि में प्रभावशाली हो जाएगा. इसमें सूर्य, मंगल और केतु का प्रभाव बना रहेगा. यह स्थिति दुनियाभर में राजनैतिक रूप से उथल-पुथल मचा सकती है. आर्थिक मोर्चे पर नई चुनौतियों का सामना होगा. कन्या और मीन राशि का प्रभाव विश्वभर में युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के संकेत दे रहा है.

ग्रहण काल में क्या करना लाभदायक होगा?

ग्रहण काल में ईश्वर के मंत्रों का जाप करना उत्तम होता है. इसमें स्तुति करना और ध्यान करना विशेष लाभकारी होता है. आप मन ही मन ईश्वर की आराधना कर सकते हैं. यह पूजा निश्चित रूप से स्वीकार होती है. अगर कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं या दीक्षा लेना चाहते हैं तो वह भी ग्रहण काल में विशेष शुभ होता है. ग्रहण के बाद स्नान करके किसी निर्धन को कुछ न कुछ दान अवश्य करना चाहिए.

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